नमस्कार दोस्तो आज हम आपको एक महत्वपूर्ण जानकारी से जागरूक करेंगे क्या होती है एफ आई आर इसकी जरूरत क्यों होती है। ओर इससे जुड़े आपके क्या क्या अधिकार है।मेरा हमेशा से यही आशय रहा है कि आप लोगो बहेतर जानकारी पहुँचता रहूँगा मेरा हमेशा से यही उद्देश्य और अथक प्रयास रहा है कि।
ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकरी आप लोगो को देता रहू ।यहा हम आपको एफ आई आर के बारे मे बताने जा रहे है एफ आई आर एक व्यक्ति का अधिकार होता है आजकल एफ आई आर के बारे में बहुत से कंपटीशन एग्जाम में भी सवाल पूछे जाते हैं
जैसे कि पुलिस कांस्टेबल परीक्षा पुलिस एसआई परीक्षा इनमें अधिकतर सवाल पूछे जाते हैं और विधि की पढ़ाई कर रहे हैं छात्रों के लिए भी ये जानकारी होना बहुत जरूरी है ।जिसमें यह पोस्ट आपके बहुत काम आने वाली है जिसमें आपको संपूर्ण जानकारी मिलेगी और आपकी सवाल संबंधित समस्या का समाधान होगा और देखते हैं इसका पूरा वर्णन।
एफ आई आर (FIR) क्या है
एफ आई आर से तात्पर्य है।या एफ आई आर का अर्थ आप ऐसे समझे हमारे समाज मे आजकल घटनाएं होना एक आम बात हो गई है। जब आप किसी बड़ी घटना या अपराध जैसे चोरी मारपीट बलात्कार हत्या किसी भी अपराध को होते हुए देखा हो
या किसी ऐसी घटना को होते हुए देखा तो आपके द्वारा पुलिस स्टेशन जाकर लिखित सूचना आपके द्वारा पुलिस को दी जाती है। पुलिस द्वारा एफ आई आर रिपोर्ट दर्ज की जाती है जिसे प्रथम सूचना रिपोर्ट भी (first information report) कहते है। पुलिस द्वारा एफ आई आर रिपोर्ट पर जांच शुरू कर दी जाती है। अगर थाने में अधिकारी नही है तो उच्च अधिकारी को भी आप शिकायत दर्ज करवा सकते है।
पुलिस द्वारा FIR लिखने से मना करने पर
ये आम बात है कि पुलिस द्वारा fir लिखने से बहुत बार मना कर दिया जाता है ऐसी स्थिति मे हम क्या कर सकते है।अगर किसी घटना की शिकायत आप पुलिस थाने में जाके रिपोर्ट दर्ज करवाने जाते है।
तो पुलिस अधिकारी द्वारा आपको दर्ज करने से मना कर दिया जाता है। तो पुलिस अधिकारी के खिलाफ आप कार्यवाही कर सकते है। उस पुलिस अधिकारी की आप शिकायत उच्च अधिकारी से कर सकते है।
और इसके अलावा उसकी शिकायत पुलिस उपायुक्त को भी की जा सकती है। पुलिस उपायुक्त को भी घटना की जानकरी दे सकते है।वहा से भी कानूनी आधार पर फिर रिपोर्ट दर्ज करवा सकते है।
FIR से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बाते
ये एक महत्वपूर्ण ध्यान रखने वाली बात है कि।जब आप किसी अपराध या घटना की जानकारी देने पुलिस थाने में जाते है तो आपके साथ हुई घटना के बारे मे पूछा जाता है। जैसे घटना कहा हुई,आपके साथ क्या घटना हुई, जिस समय घटना हुई
वो कोनसा समय था।स्थान कोनसा था इत्यादि सभी बातें पूछी जाती है।और एक डायरी में या किताब में लिखी जाती है उसे रोजनामचा कहते है।कुछ लोग यही लिखवा के आ जाते है उन्हें ये नही पता होता कि इससे आपकी fir दर्ज नही हुई है।ना है कोई समस्या का समाधान हुआ है।
जब कोई अपराध की शिकायत आप पुलिस थाने में जाकर fir दर्ज करवाते है तो fir की कॉपी जरुर आपको देनी होती है। वहा से fir की कॉपी निशुल्क fir कर्ता को मिलती है। अगर fir लिखने में आपके साथ कोई आना कानी होती है तो उच्च अधिकारी के पास जाकर आप fir करवा सकते है। fir की कॉपी लेते समय ध्यान रखे कि fir पर नंबर लिखे होते है।जो fir नंबर होते है। दिनांक समय fir में लिखा होता है।
अगर आप fir लिखवाने जाते है तो ध्यान रखने वाली बात यह भी है कि fir को दर्ज करवाने का कोई शुल्क नही होता है।अगर कोई पुलिस अधिकारी पैसो की मांग करता है तो आप उच्च अधिकारी से उसकी शिकायत कर सकते है। इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए क्योंकि अनजान लोग इसका शिकार हो जाते है।
अगर आपको लेगत है की कोई अपराध की संभावना है कसी तो आप उस व्यक्ती को पुलिस द्वारा पाबंद करवा सकते है |
झुठी FIR से कैसे बच जाए
दोस्तों हम देखते है कि झुठी FIR से कैसे बचा जाये। झूठी FIR से बचने के लिए आईपीसी की धारा 482 में प्रावधान दिया गया है उच्च न्यायालय से वह हाईकोर्ट से आपको राहत मिल सकती है यह कैसे किया जाता है इसकी प्रक्रिया कैसे होती है अगर आप पर कोई झूठी है फायर हुई है तो
उच्च न्यायालय के अंदर आपको एक वकील के माध्यम से एक प्रार्थना पत्र 482 पेश करना होता है और अपनी एविडेंस वहां बतानी होती है न्यायालय के अंदर और आपके पक्ष में कोई गवाह हो उसका भी जिक्र किया जाना चाहिए इन सब तथ्यों के आधार पर तथ्यों को देखते हुए उच्च न्यायालय द्वारा FIR रद्द की जाती है कर दी जाती है या फिर पुलिस को आदेश दे दिया जाता है FIR पर कार्यवाही पर रोक लगा दी जाती है इस प्रकार आपको झूठी FIR से राहत मिल सकती है
FIR दर्ज करवाते समय किन किन बातों का ध्यान रखा जाए
हम इसमे आपको इस बात की पूरी जानकारी देंगे कि FIR दर्ज करवाते समय क्या क्या बाते ध्यान रखने योग्य है। जब आपके साथ कोई घटना घटित होती है तो तुरन्त नजदीकी पुलिस स्टेशन में fir दर्ज करवानी चाहिए।
अगर आप तुरन्त fir दर्ज नही करवा सकते हो।और fir दर्ज करवाने में विलम्ब होता है।या कोई कारणवश देरी हो जाती है तो देरी होने का कारण भी पुलिस को बताना जरूरी होता है।
fir हमेशा साफ और सरल भाषा मे लिखी जानी चाहिए। ताकी fir कर्ता को आसनी से समझ आ सके। आसान शब्दों का है प्रयोग होना चाहिए fir मे। ओर आप जब पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट लिखवाने आते है ।और किस समय वापस जाते है।येभी उनकी डायरी में लिखवाना जरूरी होता है।
FIR में कोन कोन सी बातें पूछी जा सकती है।
जब आप के साथ कोई घटना या अपराध होता है तो उसमें कई प्रकार की पुलिस अधिकारी द्वारा बाते पूछी जाती है।जैसे कि आपके साथ क्या अपराध या घटना हुई।किस समय हुई ।
आपके साथ अपराध की दिनांक ओर किस समय पर हुआ। अपराध किसने किया।अपराध करने वाला कोई निजी जानकर था या अनजान अपराध किसके खिलाफ किया गया। अपराध मैं आपको कितनी चोट पहुंची।और क्या क्या नुकसान हुआ आपका ।
अपराध के समय आपसे साथ ओर को था।ये सब निम्नलिखित बाते पुलिस अधिकारी द्वारा पूछी जाती है।FIR दर्ज करने के पश्चात पुलिस अधिकारी आपको एक कॉपी देगा जो कि आसान भाषा मे लिखी होती है।उस बार आपके हस्ताक्षर करवायेगा आपके अंघुटे की निशानी भी लगवायेगा। ओर एक कॉपी आपको निशुल्क दी जायेगी जिसका कोई पैसे देने की जरूरत नहीं होती और एक कॉपी पुलिस अधिकारी के फ़ाइल मैं रहेगी।जो रिकॉर्ड में रखी जायेगी।
ऑनलाइन FIR केसे करें
हमारे समाज के लोग आजकल ऑनलाइन में ज्यादा विश्वास रखते है। आजकल इंटरनेट सेवा में देश ने इतनी तरकी कर ली है कि इंटरनेट के माध्यम से हर मुश्किल काम आसान हो गए है। आपको fir दर्ज करवाने के लिए पुलिस थाने जाने की जरूरत नही। घर बैठे इंटरनेट के माध्यम से आप अपनी fir दर्ज करवा सकते हो।
ऑनलाइन fir दर्ज करते समय आपको अपनी ईमेल ओर अपने फ़ोन नो दर्ज करवाने होंगे। जिससे 24 घण्टे के भीतर आपको पुलिस अधिकारी फोन करेगा ।जिससे पुलिस अधिकारी को आपसे सम्पर्क करने में आसानी होगी। FIR दर्ज होने के समय के 1 हफ़्ते तक उसकी जाँच हो जानी चाहिए।पुलिस fir दर्ज करने से मना नही कर सकती।
FIR से जुड़े आपको अधिकार
FIR से जुड़े आपके बहुत से महत्वपूर्ण अधिकार होते है। fir एक अधिकार होती है जो सभी व्यक्तियों का अधिकार होता है।
- 1 FIR कोई भी करवा सकता है।की पीड़िता या कोई पीड़ित व्यक्ति या उसके रिस्तेदार द्वारा भी करवाई जा सकती है।कोई भी पुलिस अधिकारी आपकी fir दर्ज करने से मना नही कर सकता। न ही किसी रूप मे आपको सुनने से मना कर सकता है।
- 2 आप अपनी fir को लिखित या मौखिक रूप से भी करवा सकते है
- 3 अपने द्वारा दर्ज की हुई fir को पढ़ने या समझने के बाद आपकी fir में आपके हस्ताक्षर करे इसमे आप पर कोई दबाव नही डाल सकता।
- 4 FIR करते वक्त ध्यान रखने योग्य बात यह भी है कि।FIR रिपोर्ट दर्ज कराते वक पूरी जानकारी या घटना जो हुई हो अच्छे से सटिक लिखवानी चाहिए क्यों fir पहली सीडी होती है।केस की।
FIR दर्ज न करने पर क्या करें
अगर आप पुलिस स्टेशन में एफ आई आर दर्ज करवाने जाते हैं तो वहां आपको पुलिस अधिकारी द्वारा f.i.r. रिपोर्ट दर्ज करवाने ने के लिए मना कर दिया जाता है उस स्थिति में आपको पुलिस उपायुक्त को एक रजिस्टर्ड डाक से एप्लीकेशन भेजनी पड़ती है
उसके बाद एक रजिस्टर्ड डाक से पुलिस थाना अधिकारी को एप्लीकेशन भेजनी पड़ती है उसके बाद आप न्यायालय में आकर एक वकील के माध्यम से मजिस्ट्रेट के समक्ष एक इस्तगासा फाइल कर सकते हैं जिसमें जो भी घटना हुई हो आपके बयान दर्ज हो जाएंगे और मजिस्ट्रेट द्वारा पुलिस से 154( 3) की कंप्लेंट में एक रिपोर्ट मंगाई जाती है
उसके बाद न्यायालय द्वारा के द्वारा 156 (3)का आदेश कर दिया जाता है जो FIR दर्ज करने और जांच के आदेश होते हैं । उसके बाद भी अगर पुलिस अधिकारी द्वारा fir दर्ज नहीं कि जाति है तो पुलिस अधिकारी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जा सकती है। ओर न्यायालय के आदेश की अवहेलना मे जेल भी भेजा जा सकता है
ZERO FIR क्या होती है
नमस्कार दोस्तो हमने fir के बारे मे सब देखा और fir क्या होती है। अब हम देखते है ZERO FIR क्या होती है जिसके बारे मे बहुत कम लोग जानते है।कि ZERO FIR क्या होती है।कब दर्ज करवाया जा सकती है।ये सब हम आपको इसमे बतायेंगे। FIR एक आपका अधिकार है।आपकी आत्मताओ का ब्योरा है। किसी भी घटना स्थल पर fir की आगे की कार्यवाही सरल बानाने के लिए घटना स्थल पर ही थाने में रिपोर्ट दर्ज हो।
अतः सरकार ने विश्व विषम परिस्थितियों में आपके अधिकारों को बचाए रखने के लिए जीरो एफ आई आर का प्रावधान बनाया है जिसमें एफ आई आर कराने में विलंब ना हो इसलिए प्रावधान बनाया गया है किसी व्यक्ति के साथ घटना या अपराध हो जाता है तो वह घटनास्थल के थाने पर ही FIR दर्ज करवा सकता है ताकि फिर दर्ज करवाने में कोई विलंब ना हो उसके बाद बाद उपरोक्त थाने में वह FIR. ट्रांसफर करवाई जा सकती है इसे ZERO FIR कहते हैं
यह भी पढे
- धारा 138 NI Act चेक बाउंस क्या है ।
- आदेश 7 नियम 11 सिविल प्रक्रिया संहिता क्या है ?
- आईपीसी की धारा 166 क्या है ?
- धारा 376 क्या हैं इससे बचने के उपाय ।
- धारा 307 Ipc क्या है इससे बचने के उपाय
ZERO FIR का उपयोग कब करे
हम आपको बताते हैं जीरो f.i.r. का उपयोग कब और कैसे किया जा सकता है आजकल आम बात है की घटना जैसे अपराध जैसे रेप हत्या एक्सीडेंट के किसी भी स्थान देखकर नहीं होते हैं कहीं भी हो जाते हैं उनके लिए
आप जीरो f.i.r. का उपयोग कैसे करे। जहां कोई अपराध हो आपने देखा हो तो उसकी शिकायत नजदीकी या संबंधित थाने में दर्ज करवा सकते हैं आईविटनेस के साथ में उनके बयान दर्ज करवा सकते हैं उसके बाद पुलिस द्वारा आपको एक कॉपी दी जाती है आपके हस्ताक्षर करवाये जाते हैं और f.i.r. कॉपी आपको एक निशुल्क दी जाती है
ऐसे स्थान पर आप FIR दर्ज करवा सकते हैं। एवम कोई भी पुलिसवाला या पुलिस अधिकारी आपको यह कह कर मना नहीं कर सकता यह घटना हमारे सीमा क्षेत्र से बाहर है उनको यह लिख नहीं पड़ती है यह FIR आपका अधिकार है
Mylegaladvice ब्लॉग पर आने के लिए यहाँ पे ब्लॉग पढ़ने के लिए मैं आपका तह दिल से अभारी रहूंगा और आप सभी साथीयो दोस्तो का मैं बहुत बहुत धन्यवाद करता हु इस ब्लॉग के संबंध मे आपका कोई ही सवाल है जिसका जवाब जानने के आप इछुक है तो आप कमेंट बॉक्स मैं मूझसे पुछ सकते है।।
मेरा नाम दीपेन्द्र सिंह है पेशे से मे एक वकील हू| MYLEGALADVICE ब्लॉग का लेखक हू यहा से आप सभी प्रकार की कानून से संबंद रखने वाली हर जानकारी देता रहूँगा जो आपके लिए हमेशा उपयोगी रहेगी | इसी अनुभव के साथ जरूरत मंद लोगों कानूनी सलाह देने के लिए यक छोटा स प्रयास किया है आशा करता हू की मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी रहे |यदि आपको कोई कानूनी सलाह या जानकारी लेनी हो तो नीचे दिए गए संपर्क सूत्रों के माध्यम से हमसे संपर्क कर सकते है |
अपने विरुद्ध संभावित झुंठे प्रथम सुचना प्रतिवेदन से कैसे बचा जा सकता है
संभावना है क्या प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज होने की
यदि कोई दलित महिला या पुरुष झूठा sc st act लगाने की धमकी दे तो क्या उस पर कोई करवाही हो सकती है
ho skti hai karywahi