धारा 427 आईपीसी क्या है रिष्टि जिससे पचास रूपये का नुकसान होता है? पूरी जानकारी

नामस्कर दोस्तो

आज हम बात करने जा रहे हैं धारा 427 आईपीसी की क्या होती है धारा 427 भारतीय दंड संहिता एक महवपूर्ण  कानूनी जानकारी है जिससे मैं आप लोगों को इस लेख के माध्यम से अवगत कराने जा रहा हूं धारा 427 भारतीय दंड संहिता में क्या-क्या प्रावधान बताए गए हैं

इसके अंदर कौन कौन से अपराध आते हैं इन सब विषयों को लेकर आज हम इस लेख के माध्यम से चर्चा करने वाले हैं। धारा 427 भारतीय दंड संहिता रिष्टि जिससे पचास रूपये का नुकसान होता हो या उससे अधिक हानि नुकसान पारित करेगा साधारण भाषा में हम समझे कि यह नुकसान से संबंधित है इसकी विस्तार से चर्चा हम करते हैं।

धारा 427 क्या है?

धारा 427 भारतीय दंड संहिता से तात्पर्य है जो कोई रिष्टि करेगा यानी किसी व्यक्ति का नुकसान करेगा जो कि पचास रूपये या उससे अधिक रिष्टि या हानि अथवा नुकसान कार्य करेगा वह दोनों में से किसी भी वाटी कारावास से जिसकी अवधि 2 वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से दंडित होगा।

साधारण बसों में मैं आपको बताने जा रहा हूं रिष्टि जिससे पचास रूपये या अधिक का नुकसान हो इस धारा के अधीन दंडनीय अपराध है इसके अनुसार जो कोई किसी व्यक्ति का नुकसान करेगा या रिश्ते करेगा पचास रूपये या उससे अधिक की हानि पहुंचाएगा तो वह 2 वर्ष तक का कारावास और जुर्माने से दंडित नहीं होगा।

अभियोजन पक्ष के द्वारा अभियुक्त के विरुद्ध पचास रूपये या अधिक की हानि या नुकसान की रिष्टि किया जाना साबित करना आवश्यक है।

धारा 426 की तुलना में धारा 427 में अधिक कठोर दंड की व्यवस्था के प्रावधान किए गए हैं इस प्रश्न के लिए हानि या नुकसान को किस प्रकार निर्धारित किया जाना चाहिए यह सुझाव दिया गया है कि केवल वास्तविक हानि या नुकसान को देखा जाना चाहिए

और यदि वह पचास रुपये या अधिक का हो तो यह धारा लागू होगी ऐसा हानि से फल स्वरुप होने वाले नुकसान को गिन कर इसे पचास रूपये या अधिक नहीं किया जा सकता।

आज के जमाने में  पचास रुपये की रकम एक बहुत छोटी रकम है और इसका अर्थ यह है कि रिश्ते के सामान्य मामले अब इस धारा के अधीन दंडित किए जाते हैं धारा 426 भारतीय दंड संहिता के अधीन नहीं जिसका तात्पर्य यह हुआ कि संहिता के अधीन नियमित किए जाने के समय से आज के समय में रिष्टि अधिक गंभीर अपराध बन गया है।

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धारा 425 आईपीसी में रिष्टि को परिभाषित किया गया है?

धारा 425 भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत रिष्टि को परिभाषित किया गया है जो कोई इस आशय से या यह संभव है जानते हुए कि वह लोग को या किसी व्यक्ति को सदोष हानि या नुकसान  करें किसी संपत्ति का नुकसान करें या किसी संपत्ति में या उसकी स्थिति में ऐसी तब्दीली कार्य करता है जिससे उसका मूल्य उपयोग उपयोगिता नष्ट या कम हो जाती है। और उस पर क्षति कारक प्रभाव पड़ता है उसे रिष्टि कहा जाता है।

उदहारण-

किसी व्यक्ति जिसका कृषि भूमि पर कोई अधिकार नहीं था और भूमि मालिक ने उस पर खेती की और अभियुक्त ने अपने पशु उसमें छोड़ दिए जिससे सारी फसल नष्ट हो गई यहा इस धारा को लागू किया गया है।

नुकसान से संबंधित अपराधियों को दंड के प्रावधान बताए गए हैं

धारा 427 आईपीसी में दंड के प्रावधान?

धारा 427 भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत रिष्टि या नुकसान कारित करने के लिए दंड के प्रावधान बताए गए हैं कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार की सृष्टि करेगा या नुकसान करेगा तो उसे 2 वर्ष तक का कारावास एवं जुर्माने द्वारा दंडित किया जाएगा।

 

 

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