आईपीसी धारा 406 क्या है
हेलो दोस्तों कैसे हैं आप सब मैं आप सभी का स्वागत करता हूं आज हम बात करेंगे आईपीसी धारा 406 क्या हैइस आईपीसी की धारा 406 के अंतर्गत होने वाली सजा जमानत और नियम व कानून के बारे में आप को संपूर्ण रूप से जानकारी
देने का मैं पूरा प्रयास करूंगा जिससे आपको आईपीसी धारा 406 के अंतर्गत होने वाले सभी कानूनों के बारे में जानकारी प्राप्त हो जाए।
दोस्तों अगर आपको किसी से धोखा या किसी ने आपके साथ विश्वासघात किया है तो उस व्यक्ति के ऊपर आईपीसी की धारा 406 लगाया जा सकता है यह धारा किसी को धोखा किसी से विश्वासघात करता है तो उसको इस कानून की भाषा में क्रिमिनल ब्रीच आफ ट्रस्ट कहते हैं
दोस्तों आज हम आपको इसी से जुड़े आईपीसी की धारा क्या है आईपीसी की धारा 406 के अंतर्गत कौन-कौन से अपराध आते हैं और इसके साथ ही इस धारा 406 में क्या सजा प्रावधान है सारी जानकारी देने का हम पूरा प्रयास करेंगे
तो चलिए दोस्तो हमारे साथ ऐसे ही बने रहिए और हम आपको बताते है कि आईपीसी धारा 406 क्या है।
आईपीसी धारा 406 का पूरा नाम
( भारतीय दण्ड संहिता की धारा 406 ) ( आईपीसी )
( ( IPC ) इंडियन पेनल कोड 406 )
आईपीसी की धारा 406 के अनुसार
भारतीय दण्ड संहिता धारा 406 में किसी व्यक्ति के विश्वास का अपराधिक हनन “क्रिमिनल ब्रीच आफ ट्रस्ट” करने वाले व्यक्ति को कारावास की सजा का प्रावधान है जिसकी समय सीमा को 3 वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है साथ ही उस दोषी व्यक्ति को आर्थिक दंड भी लगाया जा सकता है या यह दोनों का भी प्रावधान दिया गया है
जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के विश्वास और भरोसे कोई संपत्ति या अन्य कोई चीज देता है और दूसरे व्यक्ति ने उस संपत्ति या अन्य चीजों का गलत इस्तेमाल करता है और दिए हुए व्यक्ति को सही तरीके से वापस नहीं करता है
अर्थात व उस वस्तु का गलत इस्तेमाल करता है या बेच देता है तो वह विश्वास के अपराधिक हनन का दोषी माना जाता है और उसे इसी अपराध को मद्देनजर रखते हुए एक अवधि के लिए कारावास या उस एक अवधि को 3 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है और आर्थिक दंडित भी किया जा सकता है यह दोनों कानून एक साथ लगाए जा सकते हैं
लागू अपराध
???? विश्वास का अपराधिक हनन
???? शादी के बाद किसी तरह का लड़की को ताड़ित करना किसी भी चीज के लिए उसका व उसके परिवार जनों का विश्वास तोड़ना
सजा
✍️ 1 वर्ष का कारावास और आर्थिक दंड
✍️ 1 वर्ष को 3 वर्ष कारावास आर्थिक दंड या दोनों
✍️ यह एक गैर जमानती संगीन अपराध है
दोस्तों प्रथम श्रेणी में मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है यह अपराध न्यायालय की अनुमति से पीड़ित एवं पीड़ित व्यक्ति संपत्ति के मालिक या अन्य का विश्वास भंग हुआ है के द्वारा समझौता करने योग्य है
आईपीसी की धारा 406 का प्रयोग कब किया जाता है ?
मित्रों हमने आपको ऊपर के पैराग्राफ में इस बात से परिचित कराया था कि कोई व्यक्ति जब किसी इंसान पर पूर्ण रूप से भरोसा करता है और वह व्यक्ति उसे किसी से धोखे या धोखे के साथ उसके साथ गलत व्यवहार उसके विश्वास के साथ करता है तो वह अपराधिक हनन अर्थात क्रिमिनल ब्रीच आफ ट्रस्ट दोषी फहराया जाता है
जो कि वह व्यक्ति अपराध की श्रेणी में माना जाता है जिसको आईपीसी की धारा 400 पांच में परिभाषित किया गया है और अब इस अपराध के लिए दंड भी निर्धारित किया गया है जिसके लिए आईपीसी की धारा 406 में यह प्रावधान हुआ है
जिसमें धोखा देने वाले याद धोखाधड़ी से उसके साथ विश्वासघात करने वाले व्यक्ति को आईपीसी की धारा 406 में दंड निर्धारित किया गया है जिसमें उस व्यक्ति को 1 वर्ष के लिए कारावास ठहराया गया है और उस 1 वर्ष को 3 वर्ष की अवधि तक बढ़ाया जा सकता है और उसे आर्थिक दंड या दोनों से दंडित किया जा सकता है यह एक गैर जमानत अपराध माना जाता है
आईपीसी की धारा 406 में सजा का क्या प्रावधान है
दोस्तों आईपीसी की धारा 406 में अपराधिक हनन के लिए सजा का प्रावधान निर्धारित किया गया है और भारतीय दंड संहिता की धारा 405 और 407 वह 409 में अलग-अलग प्रावधानों के अनुसार निम्न प्रकार से इस अपराधी खनन की सजा का पूर्ण रूप से वर्णन किया गया है
दोस्तों इंडियन पेनल कोड आईपीसी की धारा 406 में अपराधी खनन की सजा का प्रावधान है जिसकी सजा 1 वर्ष से 3 वर्ष की हो सकती है और उस दोषी को आर्थिक दंड भी लगाया जा सकता है या यह दोनों का भी प्रावधान दिया गया है
दोस्तों आपको इस बात से भी परिचित करा दूं की यहां न्यायालय आर्थिक दंड अपने विवेका अनुसार निर्धारित करती है वह दोषी के द्वारा किया गया जुर्म की गहराई और धोती की हैसियत को ध्यान में रखते हुए आर्थिक दंड निर्धारित करती है
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अन्य धाराओं में विश्वासघात ( अपराधिक हनन ) की सजा
दोस्तों अन्य धाराओं में जैसे 407, 408 में 7, 7 वर्ष की कठिन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है और आईपीसी की धारा 409 में दोषी व्यक्ति को जिसने जुर्म किया है
उसे कम से कम 10 वर्ष की कठिन से कठिन कारावास का प्रधान है और अधिक से अधिक उस व्यक्ति को आजीवन कारावास जैसे कठोर दंड का भी प्रावधान दिया गया है
आईपीसी की धारा 406 के अंतर्गत जमानत का प्रावधान
दोस्तों आईपीसी की धारा 406 के अंतर्गत होने वाले अपराधों में किसी दोषी व्यक्ति को जमानत का प्रावधान नहीं है यह एक गैर जमानती अपराध इस धारा 406 के अंतर्गत माना जाता है जिसमें उस दोषी व्यक्ति की जमानत न्यायालय मंजूर नहीं करती है
दोस्तों अब यह जानते हैं कि आईपीसी की धारा 406 के अंतर्गत जमानत का प्रावधान क्या है दोस्तों व्यक्ति ऐसे अपराध करके अपने प्रदेश के उच्च न्यायालय में जमानत के लिए याचिका दायर करता है तो केवल आरोपी या उसके परिवार में किसी आपात स्थिति होने के कारण ही उसे जमानत मिल सकती है
आईपीसी और सीआरपीसी की धारा 406 के मामले में किसी व्यक्ति को तत्काल जमानत का प्रावधान नहीं दिया गया है और कोई दोषी तत्काल जमानत के लिए याचिका दायर करता है तो उसकी याचिका रद्द कर दी जाती है और दोस्तों अपराध और इस धारा में आपको अग्रिम जमानत नहीं मिल सकती है
निष्कर्ष
दोस्तों हमने यहां आपको आईपीसी धारा 406 के अंतर्गत होने वाले अपराध के बारे में संपूर्ण जानकारी देने का पूरा प्रयास किया हूं
दोस्तों यदि आपके मनकोष के भीतर ऐसे किसी भी धारा के अंतर्गत कोई भी समस्या या किसी धारा में कोई शंका हो तो आप हमें कमेंट सेक्शन में कमेंट करके पूछ सकते हैं और आपके सवालों को संतुष्ट जानकारी देने का पूरा प्रयास किया जाएगा
और दोस्तो आपको आपके सवालों से जुड़ी छोटी सी छोटी और बड़ी से बड़ी जानकारी देने का पूरा प्रयत्न किया जाएगा
हम आशा करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी से आप संतुष्ट होंगे आप हमारे पेज को लाइक करिए शेयर करिए और किसी भी प्रकार की शंका हो तो आप हमें कमेंट सेक्शन में कमेंट कर सकते है
✍️धन्यवाद

मेरा नाम दीपेन्द्र सिंह है पेशे से मे एक वकील हू| MYLEGALADVICE ब्लॉग का लेखक हू यहा से आप सभी प्रकार की कानून से संबंद रखने वाली हर जानकारी देता रहूँगा जो आपके लिए हमेशा उपयोगी रहेगी | इसी अनुभव के साथ जरूरत मंद लोगों कानूनी सलाह देने के लिए यक छोटा स प्रयास किया है आशा करता हू की मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी रहे |यदि आपको कोई कानूनी सलाह या जानकारी लेनी हो तो नीचे दिए गए संपर्क सूत्रों के माध्यम से हमसे संपर्क कर सकते है |
अगर 406 में जमानत नहीं मिलती, तो क्या मुजरिम को जेल में भेज दिया जायेगा या घर,, या फिर कोई अन्य ऑप्शन।।। कृपया सही जानकारी दीजिए। धन्यवाद
agar court me pesh hota mulzim or court jamanat yachika khariz kr deti hai to jail jana hota hai fir uper wali court me jamanat legani pedti hai
मैने मेरी बेटी की शादी के लिए रिसोर्ट बुक करवाया था , दिनांक १९ और २० feb २०१९.
मैने अग्रिम राशि २.५ लाख चेक से दिया जिसका प्रमाण मेरे पास है।
संयोगवश शादी रद्द हो गई और मैने पहली बार व्हाट्सएप और मेल से अगस्त २०१८ में अवगत करवा दिया था और उसके बाद कई बार मेल किए और व्हाटाप्सैप पर याद दिलाया, परंतु आज तक कोई जवाब नही दिया। कॉन्टेक्ट में बुकिंग कैंसल करने का कोई प्रावधान नहीं है जो मेरे पास है, अब मुझे क्या करना चाहिए, कृपया बताने का कष्ट करे। धन्यवाद सहित।
wha jake ap ussne milo or phele baat nhi hui kya us matter mai ki cancle hone per pesa refunfd hota hai ya nhi
Agar wife ne juthi 406 kalam lagaya hai to hum kaise Bach sakte hai aur hume jamanat milegi
406 ke alawa or koi section bhi lga hai kya
Ha 498a 323,504aur34 hai yaha meri koi bhi galti nahi hai fir bhi wife ne jhuthi case Dali hai to kya karna hoga aur hume jamanat milegi. Kya
kha ka mamla hai ye
Maharashtra mumbra Thane district
Mumbra ki ladki hai aur hum satara district khatav se hai hamara goav chota hai ladki city ki hai
सर् मेरे ऊपर 406 504 506 ,और 3/4 के तहत मुकद्दमा हुआ है
जिसमे मेरे पिता जी माता जी और में हु
क्या इसमे नोकरी लगने में कोई दिक्कत आ सकती है
और ये मुक़द्दमा मेरे ऊपर शादी से पहले लगा है