आईपीसी की धारा 178 क्या है पूरी जानकारी

SECTION 126 IPC IN HINDI

नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं आईपीसी की धारा 178  के बारे में क्या होती है 178 धारा आईपीसी की और इसमें क्या-क्या प्रावधान दिए गए हैं इन सब विषयों के बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से आप लोगों को कानूनी जानकारी से अवगत कराने वाले हैं हमारा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारियां आप लोगों तक पहुंचाता रहूं

आईपीसी धारा 178 शपथ या प्रतिज्ञान से इन्कार करना जबकि लोक सेवक द्वारा वह वैसा करने के लिए सम्यक रूप से अपेक्षित किया जाए –

जो कोई सत्य कथन करने के लिए शपथ या प्रतिज्ञान द्वारा अपने आप को आबद्ध करने से इन्कार करेगा, जबकि उससे अपने को इस प्रकार आबद्ध करने की अपेक्षा ऐसे लोक सेवक द्वारा की जाए जो यह अपेक्षा करने के लिए वैध रूप से सक्षम हो कि वह व्यक्ति इस प्रकार अपने को आबद्ध करे, वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो एक हजार रुपये तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा । 

आईपीसी धारा 178 का विवरण – 

यह धारा उस व्यक्ति को दंडित करती है जो लोक सेवक द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान द्वारा अपने आपको आबद्ध करने की अपेक्षा से इन्कार करेगा । इसके अनुसार, जब कोई लोक सेवक वैध रूप से इस बात के लिए सक्षम हो कि कोई व्यक्ति अपने आपको शपथ या प्रतिज्ञान द्वारा आबद्ध करे, और वह लोक सेवक किसी व्यक्ति से ऐसा करने की अपेक्षा करे,

तो जो कोई सत्य कथन करने के लिए शपथ या प्रतिज्ञान द्वारा अपने आप को आबद्ध करने से इन्कार करेगा, वह छह मास तक के सादा कारावास से, या एक हजार रुपये तक के जुर्माने से या दोनों से दंडित किया जाएगा। इस धारा के अधीन कठिन कारावास के दंड की व्यवस्था नहीं है। 

इस धारा के अधीन दायित्व के लिए यह आवश्यक है कि लोक सेवक सत्य कथन करने के लिए शपथ या प्रतिज्ञान द्वारा किसी व्यक्ति को आबद्ध करने के लिए वैध रूप से सक्षम हो, और वह ऐसी अपेक्षा किसी व्यक्ति से करे, जो ऐसा करने से इन्कार कर दे।

वह साक्षी जिसे साक्ष्य देने के लिए विधि के अनुसार राशि न दी गई हो, साक्ष्य देने के लिए आबद्ध नहीं है। पटना उच्च न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया है कि जब कोई व्यक्ति साक्षी के रूप में पूर्व में ही अपना बयान दे चुका हो, और फिर प्रतिपरीक्षा के लिए वह शपथ या प्रतिज्ञान लेने से इन्कार करे दे, तो वह इस धारा के अधीन दोषी होगा । 

दिल्ली उच्च न्यायालय का यह मत है कि शपथ लेना और शपथ लेकर कथन करना दो भिन्न बातें हैं। इस प्रकार के मामलों में तीन परिस्थितियां हो सकती है- व्यक्ति शपथ लेने के लिए तो इच्छुक हो पर कथन करने के लिए नहीं, कथन करने के लिए इच्छुक हो पर शपथ लेने के लिए नहीं, और शपथ लेने के लिए भी इच्छुक न हो और कथन करने के लिए भी नहीं । 

उच्चतम न्यायालय। ने यह अभिनिर्धारित किया है, कि जहाँ शपथ न लेने के लिए न्यायोचित आधार प्राप्त हो वहाँ व्यक्ति को इस धारा के अधीन दंडित नहीं किया जा सकता। न्यायालय का इस मामले में यह मानना था

कि जबकि अन्य व्यक्तियों की प्रतिपरीक्षा बाद में की जानी थी तो शपथ के अंतर्गत पुलिस अधिकारियों की प्रतिपरीक्षा प्रारम्भ में ही क्यों की जा रही थीं। यह करना विधि के अंतर्गत विभेदकारी था, इसलिए सीमित का इस धारा के अधीन उनके विरुद्ध परिवाद दाखिल करने का निदेश दोषपूर्ण था । 

इस धारा के अधीन अपराध असंज्ञेय, जमानतीय और अशमनीय है, और यह किसी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। 

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साथियों इसी के साथ हम अपने लेख को समाप्त करते हैं हम आशा करते हैं हमारा यह एक आपको पसंद आया होगा तथा समझने योग्य होगा अर्थात धारा 178 आईपीसी की जानकारी आप को पूर्ण रूप से हो गई होगी

कानूनी सलाह लेने के लिए अथवा पंजीकृत करने के लिए किन-किन दस्तावेजों की जरूरत होती है  इन सभी सवालों से जुड़ी सारी जानकारी इस लेख के माध्यम से हम आज आप तक पहुंचाने की पूरी कोशिश किए हैं

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