भारतीय संविधान अनुच्छेद 226 क्या है What is Article 226 of the Constitution of India
नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं भारतीय संविधान अनुच्छेद 226 बारे में क्या होती है भारतीय संविधान अनुच्छेद 226 में क्या बताया गया है कोनसे अधिकार वयक्ति को प्राप्त है इन सब विषयों के बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से आप लोगों को कानूनी जानकारी से अवगत कराने वाले हैं हमारा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारियां आप लोगों तक पहुंचाता रहूं
अनुच्छेद 226 कुछ रिट निकालने की उच्च न्यायालय की शक्ति, Article 226 Power of High Court to issue certain writs,—
(1) अनुच्छेद 32 में किसी बात के होते हुए भी प्रत्येक उच्च न्यायालय को उन राज्य क्षेत्र
में सर्वत्र, जिनके सम्बंध में वह अपनी अधिकारिता का प्रयोग करता है, भाग 3 द्वारा प्रदत अधिकारों में से किसी को प्रवर्तित कराने के लिए और किसी अन्य प्रयोजन के लिए उन राज्य क्षेत्र
के भीतर किसी व्यक्ति या प्राधिकारी को या समुचित मामलो में किसी सरकार को ऐसे निदेश, आदेश या रिट जिनके अंतर्गत बंदी प्रतिषीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, अधिकार -पृच्छा और उत्प्रेषण रिट है, या उनमे से कोई निकालने की शक्ति होगी ।
(2) किसी सरकार, प्राधिकारी या व्यक्ति को निदेश, आदेश या रिट निकालने की खंड (1) द्वारा प्रदत्त शक्ति का प्रयोग उन राज्य क्षेत्र के सम्बंध में, जिनके भीतर ऐसी शक्ति के प्रयोग के लिए वादहेतुक पूर्णतः या भागत उत्पन्न होता है, अधिकारिता का प्रयोग करने वाले किसी उच्च न्यायालय द्वारा भी, इस बात के होते हुए भी किया जा सकेगा कि ऐसी सरकार या प्राधिकारी का स्थान या ऐसे व्यक्ति का निवास- स्थान उन राज्य क्षेत्र
के भीतर नहीं है ।
(3) जहां कोई पक्षकार, जिसके विरुद्ध खंड (1) के अधीन किसी याचिका पर या उससे सम्बन्धित किसी कार्यवाही में व्यादेश के रूप में य रोक के रूप में या किसी अन्य रीति से कोई अंतरिम आदेश –
(क) ऐसे पक्षकार को ऐसी याचिका की और ऐसे अंतरिम आदेश के लिए अभिवाक के समर्थन में सभी दस्तावेजो की प्रतिलिपियां, और
(ख) ऐसे पक्षकार को सुनवाई का अवसर,
दिए बिना किया गया है, ऐसे आदेश को रद्द कराने के लिए उच्च न्यायालय को आवेदन करता है और ऐसे आवेदन की एक प्रतिलिपि उस पक्षकार को जिसके पक्ष में ऐसा आदेश किया गया है
या उसके काउंसिल को देता है वहां उच्च न्यायालय उसकी प्राप्ति की तारीख से या ऐसे आवेदन की प्रतिलिपि इस प्रकार दिए जाने की तारीख से दो सप्ताह की अवधि के भीतर, इनमें से जो भी पश्चात्वर्ती हो, या जहां उच्च न्यायालय उस अवधि के अंतिम दिन बंद है वहां उसके ठीक बाद वाले दिन की समाप्ति से पहले जिस दिन उच्च न्यायालय खुला है,
आवेदन को निपटाएगा और यदि आवेदन इस प्रकार नही निपटाया जाता है तो अंतरिम आदेश, यथास्थिति, उक्त अवधि की या उक्त ठीक बाद वाले दिन की समाप्ति पर रद्द हो जाएगा ।
(4) इस अनुच्छेद द्वारा उच्च न्यायालय को प्रदत्त शक्ति से, अनुच्छेद 32 के खंड (2) द्वारा उच्चतम न्यायालय को प्रदत्त शक्ति का अल्पीकरण नही होग ।
साथियों इसी के साथ हम अपने लेख को समाप्त करते हैं हम आशा करते हैं हमारा यह एक आपको पसंद आया होगा तथा समझने योग्य होगा अर्थात भारतीय संविधान अनुच्छेद 226 की जानकारी आप को पूर्ण रूप से हो गई होगी
कानूनी सलाह लेने के लिए अथवा पंजीकृत करने के लिए किन-किन दस्तावेजों की जरूरत होती है इन सभी सवालों से जुड़ी सारी जानकारी इस लेख के माध्यम से हम आज आप तक पहुंचाने की पूरी कोशिश किए हैं
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मेरा नाम दीपेन्द्र सिंह है पेशे से मे एक वकील हू| MYLEGALADVICE ब्लॉग का लेखक हू यहा से आप सभी प्रकार की कानून से संबंद रखने वाली हर जानकारी देता रहूँगा जो आपके लिए हमेशा उपयोगी रहेगी | इसी अनुभव के साथ जरूरत मंद लोगों कानूनी सलाह देने के लिए यक छोटा स प्रयास किया है आशा करता हू की मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी रहे |यदि आपको कोई कानूनी सलाह या जानकारी लेनी हो तो नीचे दिए गए संपर्क सूत्रों के माध्यम से हमसे संपर्क कर सकते है |