धारा 107 व 116 CRPC क्या है? पूरी जानकारी

नमस्कार दोस्तो

आज हम बताने जा रहे हैं धारा 107 ,116 दंड प्रक्रिया संहिता के बारे में क्या होती है। उसमें क्या-क्या जमानत के प्रावधान है। इन सब के बारे मे आज जानकारी थोड़ी ताजा करने जा रहा हूं। 107 , 116 CRPC के अंतर्गत कौन से मामले आते हैं। धारा 107 116 CRPC किसी व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को पाबंद करवाया जा सकता है।

किसी व्यक्ति को किसी अन्य व्यक्ति से अगर कोई ऐसी आशंका है कि वह उससे झगड़ा करने को उतारू हो रहा है या उससे कभी झगड़ा कर सकता है या झगड़े करने वाला है ऐसे व्यक्ति को धारा 107 116 के अंतर्गत कार्यपालक मजिस्ट्रेट द्वारा पाबंद करवाया जा सकता है इसकी प्रक्रिया निम्न प्रकार से है जो कि हम विस्तार से आपके साथ चर्चा करने वाले हैं।

धारा 107 116 भारत दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) का विवरण?

धारा 107 116 CRPC से तात्पर्य यह है कि जब किन्ही दो पक्षों में लड़ाई या झगड़ा होता है यह कहां से ली होती है जहां किसी गंभीर प्रवर्ति की कोई चोट नहीं होती ना ही कोई गंभीर प्रकार का अपराध होता है जहां केवल मामला मारपीट या कहासुनी तक ही सीमित होता है। तो दोनों पक्षों द्वारा अपने क्षेत्राधिकार वाले पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवा दी जाती है

उसके पश्चात पुलिस द्वारा दोनों पक्षों को धारा 107 , 116 CRPC के तहत पाबंद कर दिया जाता है और मजिस्ट्रेट के पेश किया जाता है यह धारा जमानती है धारा होती है इसमें आसानी से जमानत किसी भी व्यक्ति को मिल जाती है धारा 107 , 116 CRPC के तहत जब किसी व्यक्ति को पाबंद किया जाता है तो न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष नहीं प्रस्तुत किया जाता बल्कि कार्यपालक मजिस्ट्रेट इस मामले की सुनवाई करते हैं और वहां से आपको जमानत पर छोड़ दिया जाता है

एवं आपके जमानत मुचलके तस्दीक करवा लिए जाते हैं। न्यायालय से किस प्रकार से धारा 107 , 116 CRPC के अंतर्गत आप किसी व्यक्ति को पाबंद करवा सकते हैं जिसकी प्रक्रिया निम्न प्रकार है।

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न्यायालय द्वारा धारा 107 व 116 में पाबन्द करवाने की प्रक्रिया?

न्यायालय द्वारा किसी व्यक्ति को धारा 107 116 CRPC में किस प्रकार पाबंद किया जा सकता है जो हम आपको इस  लेख में बताने जा रहे हैं किसी व्यक्ति या किसी आपसी दो पक्षकारों के मध्य अगर कहासुनी या लड़ाई झगड़ा या मारपीट कुछ ऐसा हो जाता है

जिससे कि लोग शांति भंग हो रही हो इस प्रकार किसी भी व्यक्ति द्वारा न्यायालय में जाकर धारा 107 , 116 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत परिवाद दायर कर सकता है जोकि मजिस्ट्रेट के समक्ष दायर होता है धारा 107 , 116 CRPC का परिवाद न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत नहीं होता है

बल्कि कार्यपालक मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत होता है जिसमें अधिवक्ता की भी आवश्यकता होती है क्योंकि अधिवक्ता द्वारा ही परिवाद की ड्राफ्टिंग की जाती है और उस व्यक्ति की ओर से वकालतनामा पेश किया जाता है और परिवार कार्यपालक मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है।

अनुसंधान?

धारा 107 , 116 CRPC का परिवाद प्रस्तुत करने के पश्चात आपको मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान देने होते हैं जो भी आपके साथ घटना घटित हुई है यह लड़ाई झगड़ा हुआ है या आपको जिस व्यक्ति को पाबंद कराना है किस लिए कराना है वह सब घटना के बारे में आपको मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान देने होते हैं उसके पश्चात मजिस्ट्रेट द्वारा संबंधित थाने को जांच के आदेश दिए जाते हैं

और परिवार को जांच के लिए संबंधित थाने में भिजवा दिया जाता है जिसके आधार पर इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर द्वारा जांच की जाती है और न्यायालय के समक्ष नेक्स्ट डेट या अगले दिनांक पर न्यायालय के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होती है उसके पश्चात न्यायालय द्वारा जिस व्यक्ति के खिलाफ परिवाद प्रस्तुत हुआ है उसको न्यायालय द्वारा नोटिस भेजकर सूचित किया जाता है और न्यायालय में बुलाने का नोटिस भेजा जाता है।

जिस व्यक्ति को न्यायालय से धारा 107 व 116 का नोटिस आया हो उसकी जमानत की प्रक्रिया ?

धारा 107 116 CRPC का नोटिस अगर किसी व्यक्ति के पास आया हो तो तो किस प्रकार से जमानत के प्रावधान होते हैं जो कि हम आपको बताने जा रहे हैं अगर किसी व्यक्ति के पास न्यायालय द्वारा नोटिस भेजा गया हो तो नोटिस पर अंकित दिनांक को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत होना पड़ता है और न्यायालय के अंदर अपनी बात भी अपने अधिवक्ता द्वारा रखी जा सकती है

अगर किसी व्यक्ति ने आप के खिलाफ परिवाद दायर किया है तो आप को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत होना पड़ता है और जमानत करवानी पड़ती है जमानत में जमानत मुचलके पेश करने होते हैं और जमानती के दस्तावेज भी संलग्न कराने होते हैं जो आप की जमानत लेता है अगर आपको लगता है कि आप पर कोई झूठी कार्यवाही की जा रही है तो न्यायालय के समक्ष आप वकील द्वारा वकालतनामा पेश करवा कर मुकदमे को कंटेस्ट भी कर सकते हैं अगर आपको मुकदमा लड़ना है तो लड़की सकते हैं

पाबंद ना होकर मुकदमा लड़ सकते हैं जिसकी समय अवधि 6 महीने की होती है अगर धारा 107 116 CRPC में आप को पाबंद किया जाता है तो उसकी समय अवधि 6 माह क्यों होती है जिसके अंतर्गत वह 6 माह पश्चात अपने आप मुकदमा खत्म हो जाता है यह कोई गंभीर प्रार्थी वाला मुकदमा नहीं होता है इसमें इतना घबराने की आवश्यकता नहीं होती है इसमें केवल पाबंद किया जाता है अगर पाबंद होने के पश्चात भी अगर आप कानून की अवहेलना करते हैं तो आपके ऊपर गम भी प्रवृत्ति के मुकदमा दर्ज हो सकता है इस प्रकार इसमें जमानत के प्रावधान बताए गए है।

 

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धारा 107 और 116 दंड प्रक्रिया संहिता में वकील की क्यों आवश्यकता होती है?

धारा 107 और 116 CRPC में वकील की अति आवश्यकता होती है अगर धारा 107 और 116. CRPC में आपको नोटिस प्राप्त हुआ है तो जमानत के लिए वकील करना अति आवश्यक होता है वकील ही है जो कि आपके जमानत करवा सकता है और मुकदमे से बरी करवा सकता है इसलिए इसमें वकील की आवश्यकता पड़ती है आपकी तरफ से जो तर्क वितर्क होते हैं वकील द्वारा ही न्यायालय के समक्ष बताए जाते हैं

और आपकी तरफ से जो भी बहस होती है वह भी वकील द्वारा ही की जाती है इसलिए इसके अंतर्गत वकील की आवश्यकता बहुत महत्वपूर्ण होती है एवं वकील करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। अगर आपको किसी को पाबंद करवाना है न्यायालय द्वारा तो भी वकील की आवश्यकता पड़ती है वकील द्वारा ही फाइल प्रस्तुत की जाती है वह वकालतनामा संलग्न किया जाता है और आपकी तरफ से पैरवी वकील द्वारा ही की जाती है इसलिए वकील करना अति आवश्यक होता है

 

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50 thoughts on “धारा 107 व 116 CRPC क्या है? पूरी जानकारी”

  1. यदि धारा 116, 107 में परिवाद पेश करने पर भी investigation officer घर पर जांच के लिए नही आता है तो क्या करे।

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  2. Sir mera pass notice aya hai but meri jagh sare paper mera pass hai phir bhi muje glt notice beja guya hai….advice me in my case

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  3. Sir mere pr 107+116 dhara lagahi gai h or meri tarik October. Me lagi h Phir bhi mere pass 27 August ko notice aaya h kese

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  4. समझोता नामा होने के बाद न्यायालय में पेसी क्यों बुलाया जा रहा है

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    • अगर आप 107 /116 मे जमानत लेनी है तो जमानती की जरूरत होती है अगर आपको पाबंद नहीं होना तो आप केस को कंटेस्ट कर सकते हो जिसमे वकील द्वारा आपकी ओर से पेरवी की जाती है

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  5. 376,,,326b,,jhhuta ,mukadma darj thhha thhane me,,,,ab Final report lag gayi hai…par mai ye chahta hu ki thhane se ek dam se record khatam ho jaye mera kaise hoga sir,,,,

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    • Iski karyvahi chunav time me jyda tar kri jati h,pichli jo list hoti hai 107/116 ki ,dobara fir se unhi logo ki 107/116 kr dete hai beet karmchari ,jis pr bhi unhe sak hota hai ki ye chunav time me danga krva sakta hai

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  6. सर हमारे तथा पत्नी के नाम से धारा 107/116 का नोटिस आया है,जिसका तारीख 12/09/21है,और सर मुझे उसके पहले इंडिया के बाहर जाना है काम करने के लिए मेरा फ्लाइट 2/9/21को है,तो सर इसके लिए क्या करना होगा? क्या मुझे रहना जरूरी है? कृपया मुझे बताइए सर।

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  7. Sir mere upar 107 116 lgaya gya hai,, jbki sdm sahab ke yha se 145 pr mere favor pr order Hua tha, saamne wala mjhe paressan krne ke liye,, family property pr yh sb kr rha hai

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  8. Dear sir
    Mera nam manish hai aur mere bade papa aur hamare bich paitrik sampatti ko lekr viwad chal rha tha jisme hm dono pakchho pr dhara 107/116 lagayi gayi aur 3 month mai niyamit date pr jata rha but mere apposite party wale bus jamanat krwa k ek v date pr nhi aye.mahoday kripaya ye bataye ki apposite party k khilaf koi karwayi ho skti hai ki nhi ya agar karwayi hogi to kaise.

    Thanks & regards,
    Manish Singh.

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  9. सर धारा 107/116 में जमानत लेने के बाद तो कोई दिक्कत नहीं होगी।?
    मैंने SDM कोर्ट से जमानत ले ली है अब तो कोई दिक्कत नही होगी?
    कृपया jawab जरूर दे

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  10. 107/116 की अधिकतम अवधि क्या हो सकती है सर। तथा क्या जमानत लेने के बाद हर सप्ताह कोर्ट जाना पड़ेगा। कृपया बताये

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  11. Sir 111,107/116 k notice pr jamanat k baad mujhe case ki date dekhte hue 6 month ho gye h fir v dates pd rhe h Aisa kyu?
    jbki in 6 mahine me kisi v prakar se koi ashanti nhi Hui kripa krk Mera margdarshn kijiye ki kya karna hoga mujhe ????

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